Wednesday, 23 January 2013

Arvind Kejriwal ji aur varisht aam aadmi party sadasyon se kuch prashn

उमेश जैसवाल जी,


कृपया यह प्रश्न केजरीवाल जी या किसी आम आदमी पार्टी के वरिष्ठ कार्यकर्ता से जरूर पूछे और उन्हें 15 दिनों में इनके उत्तर देने का आग्रह करें |

पत्र की एक कोपी righttorecall.rtr@gmail.com को भी फॉरवर्ड करें और बताएं कि आपको क्या जवाब या ख़ामोशी मिलती है |


1. आम आदमी पार्टी ने अंग्रेजी संस्करण के स्वराज्य पुस्तिका में कुछ प्रस्ताव दिए हैं, जिसमें लोकपाल पर राईट टू रिकॉल भी शामिल है | अब सरकार के पास तो लाखों कर्मचारी है और कर्मचारियों को प्रस्तावों को लागू करने के लिए विस्तृत निर्देशों की जरुरत पड़ती है | सन 1977 में जनता पार्टी ने अपने घोषणा पत्र में राईट तो रिकॉल लाने का वायदा किया था और इसी कारण, वो इस मुद्दे परजीती भी थी | परन्तु सत्ता में आने पर राईट टू रिकाल को कभी लागू नहीं किया गया क्योंकि इसका प्रारूप अथवा ड्राफ्ट ही तैयार नहीं किया गया था |


इसलिए कृपया आप समय-सीमा बताएं कि कब आप के द्वारा दिए गए प्रस्तावों के ड्राफ्ट तैयार होंगे और आम आदमी पार्टी की वेबसाइट और घोषणापत्र में शामिल किया जायेगा |


2. आम आदमी पार्टी का ये कहना है के वो सारे कानून किसी कमिटी से बनवाएगी | वे कहते हैं कि ये कमिटी अन्य सरकारी कमिटियों से भिन्न होगी क्योंकि ये किसी भी मुद्दे पर जनता की राय लेगी जन-मत संग्रह द्वारा | कृपया इस जनमत संग्रह की विधि स्पष्ट रूप से बतायें | बिना विधि के आम आदमी जनमत संग्रह में भाग नहीं ले सकता |


3. एक निर्णय में उच्च न्यायलय ने कहा था कि चुनाव आयोग के पास यह अधिकार है के वो निष्पक्ष और स्वतंत्र चुनाव को सुनिश्चित करने के लिए नोटिस (अधिसूचना) भी जारी कर सकती है | मतदाता ये नहीं जान पाते कि चुनाव लड़ने के पीछे उम्मेदवार की क्या मंशा है | इस समस्या के समाधान के लिए चुनाव आयोग एक नोटिस जारी कर सकता है कि चुनाव आयोग यदि कोई उममीदवार स्वेच्छा से, अपनी पब्लिक में नारको-जांच की मांग करता है, तो चुनाव आयोग उसका पब्लिक में नार्को-जांच करवाएगा | कृपया आम आदमी पार्टी अपनी वेबसाइट पर और मीडिया द्वारा चुनाव आयोग से ऐसी अधिसूचना जारी करने की मांग करे | क्योंकि नार्को जांच उम्मेदवार की स्वेच्छा से किया जायेगा, वह ना तो किसी न्यायलय के फैसले के विरुद्ध होगा और ना ही असवैधानिक है |


चुनाव आयोग द्वारा उमीदवार का स्वेच्छा से, पब्लिक में नार्को-जांच के लिए एक प्रक्रिया का सुझाव निम्नलिखित है -


उम्मेदवार की स्वेच्छा से, चुनाव आयोग द्वारा सार्वजनिक नार्को टेस्ट


ये सरकारी आदेश मुख्य चुनाव आयुक्त द्वारा हस्ताक्षर किये जाने हैं
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1) नागरिक का यहाँ अर्थ है नागरिक-मतदाता जो भारत में पंजीकृत है इस अधिनियम में बताये गए कार्यों के लिए | उम्मीदवारों पर नार्को करने के लिए मुख्य चुनाव आयुक्त या उसका कोई अफसर करवाएगा | मुख्य चुनाव आयुक्त पर राईट टू रिकाल होगा, मतलब उनको नागरिक, किसी भी दिन बदल सकते हैं  | (प्रक्रिया के लिए नीचे देखें )


2) मुख्य चुनाव आयुक्त को निर्देश -

ये क़ानून किसी भी चुनावी उम्मीदवार  पर लागू होगा, जो अपने ऊपर स्वेच्छा से पब्लिक में नार्को-जांच करवाना चाहता है |


3)  मुख्य चुनाव आयुक्त को निर्देश -

यदि कोई भी चुन्नावी उम्मीदवार अपने आप पर पब्लिक में नार्को जांच की मांग करता है, तो  मुख्य चुनाव आयुक्त उस नागरिक के निवास के "राज्य" में लौटरी या क्रम-रहित तरीके से चुने गए न्यायिक प्रयोगशाला (फोरेंसिक लैब) को आदेश देगा कि वो उसपर नार्को जांच करे |


4)  मुख्य चुनाव आयुक्त को निर्देश

 मुख्य चुनाव आयुक्त 35 से 55 साल के आयु के 24 नागरिकों को क्रम-रहित तरीके से चुनेगा और बुलाएगा और उन्हें 12-12 के दो समूहों `` और `` में बांटेगा और एक श्रेणी-2 के अफसर को नियुक्त करेगा नार्को जांच को सुपरवाइज / संचालन करने के लिए |


5)  नार्को-जाँच का प्रभारी को निर्देश -

नार्को जांच की दवाई का इंजेक्शन लग जाने के बाद, समूह-`` में से एक व्यक्ति एक प्रश्न पूछेगा और यदि समूह-`` में कम से कम व्यक्ति उस प्रश्न को अनुमति दे देते हैं , तो फिर अफसर वो प्रश्न पूछेगा | समूह-`` में हरेक व्यक्ति को ठीक 5  मिनट मिलेंगे |  


6)  नार्को-जाँच का प्रभारी को निर्देश -

मीडिया वालों को लाइव प्रसारण करने के लिए निमंत्रण किया जायेगा यदि वे लाइव प्रसारण करना चाहें | नार्को जांच को रिकोर्ड किया जायेगा और उसे भारतीय सरकार की वेबसाइट पर डाला जायेगा , लाइव और रिकोर्ड किया हुआ |


7) --------

इस नार्को जांच के परिणाम कोई भी जूरी-सदस्य द्वारा सबूत नहीं माने जायेंगे


8)  जिला कलक्टर को निर्देश

यदि कोई भी नागरिक इस कानून में बदलाव करना चाहे, तो वे अपना एफिडेविट जिला कलेक्टर के दफ्तर पर जमा करेगा और जिला कलेक्टर या उसके क्लर्क उस एफिडेविट को 20 रुपये प्रति पन्ना का शुल्क / फी लेकर चुनाव आयोग के वेबसाइट पर रखेगा |


9)  तलाटी या पटवारी या लेखपाल को निर्देश-

यदि कोई भी नागरिक इस कानून या इसके किसी धारा पर विरोध दर्ज करवाना चाहे या किसी ऊपर दिए हुए धारा के द्वारा गए किसी जमा किये हुए एफिडेविट पर अपना हाँ/ना दर्ज करवाना चाहे तो वह तलाटी के दफ्तर जाकर, अपने मतदान पत्र लेकर , तलाटी को 3 रुपये की फीस देनी पड़ेगी | पटवारी या उसका क्लर्क हाँ/ना को चुनाव आयोग के वेबसाइट पर दर्ज करेगा और उसे रसीद देगा |

 

राईट टू रिकॉल मुख्य चुनाव आयुक्त
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1. (1.1) नागरिक शब्द का अर्थ पंजीकृत मतदाता होगा |

(1.2) शब्द "कर सकता है " का मतलब कोई भी नैतिक-कानूनी बंधन नहीं है | इस का मतलब " कर सकता है " या "करने की आवश्यकता / जरूरत नहीं है " है |


2. [जिला कलेक्टर (DC) के लिए निर्देश] : यदि कोई योग्य भारतीय नागरिक मुख्य चुनाव आयुक्त बनना चाहे और वह स्वयं या फिर किसी वकील के 


द्वारा डिस्ट्रिक्ट कलेक्टर के पास एफिडेविट सहित आये, तो कलेक्टर उससे शुल्क जो सांसद के चुनाव की जमा धनराशी जितनी ही होगी लेगा और उसकी 


उम्मेदवारी को स्वीकार करेगा | और उम्मेदवार का नाम चुनाव आयोग की वेबसाइट पर भी दर्ज करेगा |


3. [ग्रामीण अफसर / तलाटी / पटवारी (या उनके क्लर्क) को निर्देश]


(3.1)
यदि उस जिले का कोई भी नागरिक किसी ग्रामीण अफसर / तलाटी / पटवारी (कलेक्टर द्वारा नियुक्त सबसे निम्न स्तर का अफसर) को 3 रुपये देकर, अधिक से अधिक 5 लोगो को मुख्य चुनाव आयुक्त के पद के लिए स्वीकृति देता है, तो तलाटी उसकी स्वीकृति अपने कम्प्यूटर में दर्ज करेगा और उसे रसीद देगी जिसमें तिथि, समय, मतदान पत्र संख्या और उसके द्वारा स्वीकृत 5 उम्मीदवारों की जानकारी होगी |


(3.2) कलेक्टर एक ऐसा सिस्टम बना सकता है, जिसमें मेसेज द्वारा मतदाताओं को फीडबैक (पुष्टि) दिया जा सके |


(3.3) कलेक्टर एक ऐसा सिस्टम बना सकता है जिसमें वो मतदातओं का ऊँगली छाप और फोटो खिचवा कर उसे रसीद में शामिल कर सके |


(3.4) प्रधानमंत्री ऐसा सिस्टम बना सकते हैं, जिसमें मतदाता अपने ए.टी.एम कार्ड के माध्यम से अपनी स्वीकृति दर्ज करवा सकते हैं |


(3.5) प्रधानमंत्री ऐसा सिस्टम बना सकते हैं, जिसमें मतदाता मेसेज (एस.एम.एस) के माध्यम से अपनी स्वीकृति दर्ज करवा सकते हैं |


4. [ग्रामीण अफसर / तलाटी / पटवारी (या उनके क्लर्क) को निर्देश] : तलाटी मतदातओं के पसंद को चुनाव आयोग की वेबसाइट पर, मतदाता के मतदान पत्र संख्या के साथ दर्ज करेगा |


5. [ग्रामीण अफसर/ तलाटी / पटवारी (या उनके क्लर्क) को निर्देश] : यदि कोई नागरिक अपनी स्वीकृति रद्द करना चाहे, तो तलाटी उसकी एक या उससे ज्यादा स्वीकृति को निशुल्क रद्द करेगा |


6. [मंत्रिमडल सचिव को निर्देश] : हर महीने की 5 तारीख को मंत्रिमंडल सचिव, प्रत्येक उम्मेदवार को प्राप्त स्वीकृति की संख्या जो उम्मेदवार को पिछले महीने की आखरी तारिक तक प्राप्त हुए है, उन्हें चुनाव आयोग की वेबसाइट पर प्रकाशित कर सकता है |


7. [मुख्य चुनाव आयुक्त को निर्देश] : यदि किसी उम्मेदवार को सारे मतदाताओं (जिले के सारे मतदाता, मात्र स्वीकृति दर्ज करने वाले मतदाता नहीं) में से 51% या उससे ज्यादा मतदाता अपनी स्वीकृति देते हैं, तो मुख्य चुनाव आयुक्त अपना पद त्याग कर उस स्वीकृत उम्मेदवार को नियुक्त करने के लिए सांसद से कह सकता है |


8. [सांसदों को निर्देश] : मौजूदा मुख्य चुनाव आयुक्त को निष्कासित करके सांसद धारा 7 में बताये गए व्यक्ति का चयन कर सकते हैं |


9. [जिला कलेक्टर को निर्देश] : यदि कोई नागरिक इस कानून के ड्राफ्ट में बदलाव चाहता है तो वह एक एफिडेविट (शपथ पत्र) जिला कलेक्टर के दफ्तर जाकर दर्ज कर सकता है और जिला कलेक्टर या उसका क्लर्क मात्र 20/- प्रति पेज के हिसाब से शुल्क लेकर प्रधानमंत्री की वेबसाइट पर उस शपथ पत्र को स्कैन करके रखेगा |


10. [ग्रामीण अफसर/तलाटी को निर्देश] : यदि कोई नागरिक इस कानून या इसकी किसी धारा के खिलाफ अपना विरोध दर्ज करना चाहता है या ऊपर वर्णित एफिडेविट के लिए अपना हा/ना दर्ज करवाना चाहता है तो तलाटी उससे 3/- शुल्क लेकर उसके हा/ना को प्रधानमंत्री की वेबसाइट पर डालेगा और उसे 3/- की रसीद भी देगा | 


 

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