Wednesday 29 May 2013

Har naagrik ka kartavy - `Jansevak ko mesej-aadesh`- prachar-tarika

उमेश जैसवाल जी,

जैसे कि आपसे सुबह बात हुई थी कि आम आदमी को अपने जनसेवक को मेसेज-आदेश
भेजना चाहिए (हो सके तो बताये हुए फोर्मैट में) और भेजा हुआ मेसेज-आदेश
का प्रमाण जनसमूह को बताना चाहिए अपने वाल-नोट, ब्लॉग, गूगल डोक, पर्चों
आदि द्वारा और लिंक शेयर करना चाहिए ताकि जनता को प्रमाण मिले और दूसरों
को भी ऐसा करने की प्रेरणा मिले |

==================================================================

केवल किसी नेता या पार्टी के लिए नारेबाजी करने से ये भी सिद्ध नहीं होता
है कि आप वास्तव में उस नेता/पार्टी के समर्थक हैं | यदि आप वास्तव में
अपने प्रिय नेता/पार्टी का समर्थन करना चाहते हैं या कोई समाधान-ड्राफ्ट
को लागू करवाना चाहते हैं, तो आपको अपने सांसद, विधायक आदि, जनसेवकों को
जरुरी मेसेज-आदेश भी देने चाहिए (अपने विरोध/समर्थन के तरीकों के साथ) कि
आपके प्रिय नेता को देश का प्रधानमंत्री या मुख्यमंत्री बनाने के लिए
तुरंत प्रस्ताव शुरू करवाएं संसद या विधानसभा में या आपके प्रिय पार्टी
को बढ़ावा करे | और भेजे गए मेसेज-आदेश अधिक से अधिक जनता को बताएं फेसबुक
वाल-नोट, ब्लॉग, पर्चे, गूगल डोक आदि द्वारा, ताकि जनता को प्रमाण मिले
और दूसरों को भी ऐसा करने की प्रेरणा मिले | `जनसेवक को मेसेज-आदेश`
भेजने के लिए और भेजे गए मेसेज-आदेश जनता को दिखाने के लिए, आपके समय के
केवल 5-10 मिनट ही लगेंगे |

हमारे सासदों, विधायकों, आदि जनसेवकों के पास ही अधिकार है कि भारतीय
राजपत्र में समाधान-ड्राफ्ट को छपवाएं, कानून बनाएँ और प्रक्रिया-ड्राफ्ट
पर वोट करें | तो, जब तक हम आम-नागरिक अपने जनसेवकों को एक प्रामाणिक रूप
से नहीं बताते कि हमें उनसे वास्तव में क्या चाहिए और क्या नहीं, तब तक
जनसेवकों और दूसरे नागरिकों को कैसे पता चलेगा ? उदाहरण, यदि आप चाहते
हैं कि आपके सांसद, प्रधानमंत्री एफ.डी.आई. (विदेशी प्रत्यक्ष निवेश) के
लिए अनुमति नहीं दें, तो उन्हें कैसे पता चलेगा ? क्या आपने अपने सांसद
को मेसेज-आदेश भेजा कि वो एफ.डी.आई. के लिए अनुमुती नहीं दे ? यदि नहीं,
तो ये आपका दोष है कि आपने अपने सांसद को मेसेज-आदेश नहीं भेजा कि आपको
एफ.डी.आई. नहीं चाहिए | इसलिए, अपने जनसेवकों को मेसेज-आदेश भेजना हमको
एक जिम्मेदार नागरिक बनाता है |

इस तरह, हमको अपना संवैधानिक कर्तव्य निभाना चाहिए | क्यूँ हमें 5 साल तक
इन्तेजार करना चाहिए ? हम क्यूँ पांच साल के लिए सोयें या 5 साल के लिए
रोयें और पांच साल में केवल एक ही दिन जागृत रहें ? ऐसा करना कोई
लोकतंत्र नहीं है | और यदि कोई जनसेवक हजारों नागरिकों की नहीं सुनता है,
तो कृपया उसकी प्रमाण सहित पोल खोलें और उसको किसी भी दिन बदल सकें ऐसे
`जनसेवक को मेसेज-आदेश` का सिस्टम का प्रयोग करें, ना कि हम उस बुरे
जनसेवक को 5 साल बर्दाश्त करें |

===================================

पूरा लेख पढ़ें और कृपया बताएं कि आप क्यूँ अपने जनसेवक को मेसेज-आदेश
नहीं भेजना चाहते, पत्र द्वारा आदेश भेजना चाहते हैं , जबकि भेजे गए
पत्रों की जाँच करना संभव नहीं है |
आपने जो 10 लाख पत्र भेजे थे शीला दीक्षित को, उसको कोई भी व्यक्ति कह
सकता है कि वे असल में कुछ ही लोगों द्वारा निर्मित हैं | और हमारे देश
में लगों के हस्ताक्षर के रिकोर्ड भी नहीं है, जांच करने के लिए कि सत्य
क्या है |

जबकि मेसेज का रिकोर्ड प्राप्त किया जा सकता और मेसेज की जाँच करना बहुत
आसान हो जायेगा जब सांसद/जनसेवक को मजबूर किया जाये कि वे अपने पब्लिक
मोबाइल को अपने वेबसाइट से जोड़ दें ताकि प्राप्त मेसेज स्वतः वेबसाइट पर
प्रकाशित हो जायें और प्रमाणिक तरीके से जनता की राय सबके सामने आये |

पूरा लेख पढ़ने का लिंक -

0227. आम नागरिकों का कर्त्तव्य अपने जनसेवक जैसे प्रधान मंत्री, उच्च
न्यायाधीश, मुख्य मंत्री, विधायक आदि को आदेश भेजना एस.एम.एस, आदि द्वारा
--- `जनसेवक को मेसेज-आदेश` प्रचार तरीका (पी.डी.एफ.)-
http://sdrv.ms/17rr5lM

===========================

कृपया इस मेल की प्राप्ति की पुष्टि करें और एक सप्ताह के अंदर कृपया उत्तर दें |

धन्यवाद |

कश्यप

No comments:

Post a Comment

Note: only a member of this blog may post a comment.